लेखनी प्रतियोगिता -20-Mar-2022 प्रेम के रंग से
प्रेम के रंग से, खेलूं होली।
एक दूजे की, बन हमजोली।।
नीला पीला, रंग ना भाए।
रंग प्रीत का, चढ़ता जाये।।
ये रंग मुझको, बड़ा सताए।
पक्का ऐसा, उतर ना पाए।।
हां देखे करके, लाख जतन।
हां प्रेम की जब, लागी लग्न।।
राधा ने थी,प्रीत निभाई।
धुन मुरली की, मन को भाई।।
बन जोगन,प्रीत निभाई थी।
मीरा ने लगन, लगाई थी
रंग प्रीत का,मन को भाता।
छूटे से भी, छूट न पाता।।
संगीता वर्मा ✍️✍️
Shrishti pandey
21-Mar-2022 10:41 AM
Nice
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Punam verma
21-Mar-2022 08:56 AM
Very nice
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राजीव भारती
21-Mar-2022 08:34 AM
जी बेहतरीन प्रस्तुति।
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